उसे माँ चाहिए, मालकिन नहीं
हमारी एक पहचान की आंटी का फ़ोन आया। उनकी बहू के दूसरा बच्चा हुआ था और वो घर में एक आया रखना चाहती थी। यह आंटी पड़ी लिखी हैं और बचपन से मुझे पसंद हैं। मैंने उन्हें एक-दो लोगों के नाम दिए। फिर आंटी धीरे से बोली, “बेटा, हमें छोटी लड़की भी चलेगी। कोई पता हो तो बताना।” मुझे इतना बुरा लगा कि समझ नहीं आया कि फ़ोन बंद कर दूँ, या आंटी को उलटा बोलूँ। आंटी के लिए ज़िंदगी भर की इज़्ज़त एक क्षण में ख़त्म हो गयी। “आंटी मुझे नहीं पता,” बोल कर मैंने फ़ोन रख दिया।
ज़्यादा लोग ये नहीं जानते, लेकिन हमारे देश में हज़ारों बच्चे जो कि 10 साल की उम्र से ऊपर हैं, नए माता पिता द्वारा अडाप्ट किए जाने का इंतज़ार कर रहे हैं। यह बच्चे आश्रमों और अनाथालयों में ज़िंदगी बिताते हैं — सरकार ने इन्हें क़ानूनी अडॉप्शन की लिस्ट में डाला हुआ है, लेकिन लोग इन बच्चों को अडाप्ट नहीं करते। कभी कभी कोई बच्चा हमारे देश से बाहर अडाप्ट हो जाता है, लेकिन हमारे देश के लोग इन बच्चों के बारे में सोचते भी नहीं।
एक तरफ़ मैं और अडॉप्शन में काम करने वाले लोग समाज को अनाथ बच्चों के बारे में बताने या समझाने की कोशिश करते हैं, ताकि बच्चे अडाप्ट हो सकें और उन्हें माता पिता और परिवार मिले। दूसरी तरफ़ हमारे समाज को मजबूर बच्चों में सिर्फ़ नौकर दिखते हैं। दूसरे देशों के लोग हमारे देश के बच्चों को अपना मानकर, अडाप्ट करके, एक नयी ज़िंदगी देते हैं। तो फिर हम हिंदुस्तानी क्यूँ ऐसा नहीं करते? क्यूँ हम बच्चों को परिवार और प्यार देने कि बजाए, उन्हें नौकर बना देते हैं? क्या एक 10 साल के लड़के को माता पिता नहीं चाहिए? क्या एक 13 साल की लड़की को माता पिता नहीं चाहिए?
हमारे देश में ज़्यादातर लोग बच्चे पाल कर, कॉलेज भेजकर, 40–50 की उम्र तक ख़ाली हो जाते हैं। तो उस समय पर क्यूँ ना एक 10 से 18 वर्ष के बीच का बच्चा अडाप्ट करें, उसे अपने परिवार का हिस्सा बनाएँ, उसे पाल कर और पढ़ा कर आत्मनिर्भर बनाएँ। अडॉप्शन की प्रक्रिया भी अब बहुत आसान है — सब कुछ ऑनलाइन शुरू किया जा सकता है cara.nic.in पर।
अगर आप को मेरी कही बात ठीक लगी हो, तो प्लीज़ इसके बारे में सोचिए और अच्छा क़दम लीजिए।
Here are all the articles and videos that I have created about adoption in India.